Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2021

Prabh ke simran ridh sidh nau nidh

  प्रभ कै सिमरन रिधि सिधि नउ निधि ॥ Prabh ke simran ridh sidh nau nidh By doing this mantra every day 108 times you will be blessed by Guru Nanak Dev Ji and Guru Arjan dev ji and soon will be free from all the financial problems and you will have miraculous powers which will change your life and make you happy, healthy, famous and prosperous. इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार करने से आपको गुरु नानक देव जी और गुरु अर्जुन देव जी की कृपा प्राप्त होगी और आप जल्द ही सभी आर्थिक समस्याओं से मुक्त हो जाएंगे और आपके पास चमत्कारी शक्तियां होंगी जो आपके जीवन को बदल देंगी और आपको स्वस्थ, प्रसिद्ध और समृद्ध बना देंगी।  तो आइए बोले  प्रभ कै सिमरन रिधि सिधि नउ निधि ॥ प्रभ कै सिमरन रिधि सिधि नउ निधि ॥ प्रभ कै सिमरन रिधि सिधि नउ निधि ॥ subscribe Karen hamara YouTube channel

रहरास साहिब - Rehras Sahib in Hindi

Rehras Sahib in Hindi रहरास साहिब सतनाम श्री वाहेगुरु जी ॥ हरि जुगु जुगु भगत उपाइआ पैज रखदा आइआ राम राजे ॥ हरणाखसु दुसटु हरि मारिआ प्रहलादु तराइआ ॥ अहंकारीआ निंदका पिठि देइ नामदेउ मुखि लाइआ ॥ जन नानक ऐसा हरि सेविआ अंति लए छड़ाइआ ॥४॥ ੴ  सतिगुर प्रसादि ॥ सलोकु म १ ॥ दुखु दारू सुखु रोगु भइआ जा सुखु तामि न होई ॥ तूं करता करणा मै नाही जा हउ करी न होई ॥१॥ बलिहारी कुदरति वसिआ ॥ तेरा अंतु न जाई लखिआ ॥१॥ रहाउ ॥ जाति महि जोति जोति महि जाता अकल कला भरपूरि रहिआ ॥ तूं सचा साहिबु सिफति सुआलिੑउ जिनि कीती सो पारि पइआ ॥ कहु नानक करते कीआ बाता जो किछु करणा सु करि रहिआ ॥२॥ सो दरु रागु आसा महला १ ॥ ੴ  सतिगुर प्रसादि ॥ सो दरु तेरा केहा सो घरु केहा जितु बहि सरब समाले ॥ वाजे तेरे नाद अनेक असंखा केते तेरे वावणहारे ॥ केते तेरे राग परी सिउ कहीअहि केते तेरे गावणहारे ॥ गावनि तुधनो पवणु पाणी बैसंतरु गावै राजा धरमु दुआरे ॥ गावनि तुधनो चितु गुपतु लिखि जाणनि लिखि लिखि धरमु बीचारे ॥ गावनि तुधनो ईसरु ब्रहमा देवी सोहनि तेरे सदा सवारे ॥ गावनि तुधनो इंद्र इंद्रासणि बैठे देवतिआ दरि नाले ॥ गावनि तुधनो सिध समाधी अंदरि गावनि

सतिगुरु होइ दइआलु - Satguru Hoye Dayal

  सतिगुरु होइ दइआलु -  Satguru Hoye Dayal Satguru Hoye Dayal Shabad lyrics पउड़ी ॥ सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ ॥ सतिगुरु होइ दइआलु न कबहूं झूरीऐ ॥ सतिगुरु होइ दइआलु ता दुखु न जाणीऐ ॥ सतिगुरु होइ दइआलु ता हरि रंगु माणीऐ ॥ सतिगुरु होइ दइआलु ता जम का डरु केहा ॥ सतिगुरु होइ दइआलु ता सद ही सुखु देहा ॥ सतिगुरु होइ दइआलु ता नव निधि पाईऐ ॥ सतिगुरु होइ दइआलु त सचि समाईऐ ॥२५॥ Satguru Hoye Dayal 11 times continues jaap. सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ 11 बार जाप॥ Satguru Hoye Dayal Shabad is a gift of Guru Amar Das JI. It is also present in Guru Garanth Sahib on Ang 149. This Shabad is from Amrit kirtan gutka in Raag Maajh on page 211 in the section of Satgur Guni Nidhaan heh. सतिगुरु होइ दयालु त सरधा पूरीऐ शबद है गुरू अमर दास जी की  दात ॥  यह  शबद गुरू ग्रंथ साहब अंग १४੯  पर  है ॥ यह  शबद है राग माझ अमृत कीरतन गुटका में  पन्ना २११ पर  "सतिगुर गुनी निधानु है" ॥  Satguru Hoye Dayal lyrics with meaning. सतिगुरु होइ दयालु  अर्थ पउड़ी ॥ सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ ॥ सरधा = सिधक, भरोसा। द

आनंद साहिब - Anand Sahib in Hindi

 अनंदु साहिब रामकली महला ३ अनंदु ੴ  सतिगुर प्रसादि ॥ अनंदु भइआ मेरी माए सतिगुरू मै पाइआ ॥ सतिगुरु त पाइआ सहज सेती मनि वजीआ वाधाईआ ॥ राग रतन परवार परीआ सबद गावण आईआ ॥ सबदो त गावहु हरी केरा मनि जिनी वसाइआ ॥ कहै नानकु अनंदु होआ सतिगुरू मै पाइआ ॥१॥ ए मन मेरिआ तू सदा रहु हरि नाले ॥ हरि नालि रहु तू मंन मेरे दूख सभि विसारणा ॥ अंगीकारु ओहु करे तेरा कारज सभि सवारणा ॥ सभना गला समरथु सुआमी सो किउ मनहु विसारे ॥ कहै नानकु मंन मेरे सदा रहु हरि नाले ॥२॥ साचे साहिबा किआ नाही घरि तेरै ॥ घरि त तेरै सभु किछु है जिसु देहि सु पावए ॥ सदा सिफति सलाह तेरी नामु मनि वसावए ॥ नामु जिन कै मनि वसिआ वाजे सबद घनेरे ॥ कहै नानकु सचे साहिब किआ नाही घरि तेरै ॥३॥ साचा नामु मेरा आधारो ॥ साचु नामु अधारु मेरा जिनि भुखा सभि गवाईआ ॥ करि सांति सुख मनि आइ वसिआ जिनि इछा सभि पुजाईआ ॥ सदा कुरबाणु कीता गुरू विटहु जिस दीआ एहि वडिआईआ ॥ कहै नानकु सुणहु संतहु सबदि धरहु पिआरो ॥ साचा नामु मेरा आधारो ॥४॥ वाजे पंच सबद तितु घरि सभागै ॥ घरि सभागै सबद वाजे कला जितु घरि धारीआ ॥ पंच दूत तुधु वसि कीते कालु कंटकु मारिआ ॥ धुरि करमि पाइआ तुधु जिन कउ

चौपई साहिब - Chaupai Sahib in Hindi

  चौपई साहिब ੴ स्री वाहिगुरू जी की फतह ॥ पातिसाही १० ॥ कबयो बाच बेनती ॥  चौपई ॥ हमरी करो हाथ दै रछा ॥ पूरन होइ चित की इछा ॥ तव चरनन मन रहै हमारा ॥ अपना जान करो प्रतिपारा ॥१॥ हमरे दुसटसभै तुम घावहु ॥ आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥ सुखी बसै मोरो परिवारा ॥ सेवक सिखयसभै करतारा ॥२॥ मो रछा निजु कर दै करियै ॥ सभ बैरिन कौ आज संघरियै ॥ पूरन होइ हमारी आसा ॥ तोर भजन की रहै पयासा ॥३॥ तुमहि छाडि कोई अवर न धियाऊं ॥ जो बर चाहों सु तुमते पाऊं ॥ सेवक सिखय हमारे तारीअहि ॥ चुनि चुनि सत्रहमारे मारियहि ॥४॥ आप हाथ दै मुझै उबरियै ॥ मरन काल का त्रास निवरियै ॥ हूजो सदा हमारे पछा ॥ स्री असिधुज जू करियहु रछा ॥५॥ राखि लेहु मुहि राखनहारे ॥ साहिब संत सहाइ पियारे ॥ दीन बंधु दुसटन के हंता ॥ तुमहो पुरी चतुर दस कंता ॥६॥ काल पाइ ब्रहमा बपु धरा ॥ काल पाइ सिवजू अवतरा ॥ काल पाइ करि  बिसन प्रकासा ॥ सकल काल का कीआ तमासा ॥७॥ जवन काल जोगी सिव कीओ ॥ बेद राज ब्रहमा जू थीओ ॥ जवन काल सभ लोक सवारा ॥ नमसकार है ताहि हमारा ॥८॥ जवन काल सभ जगत बनायो ॥ देव दैत जछन उपजायो ॥ आदि अंति एकै अवतारा ॥ सोई गुरू समझियहु हमारा ॥९॥ नमसकार तिसही को हमारी

त्वप्रसादि ॥ स्वये ॥ - Tav prasad savaiye in hindi

  त्वप्रसादि ॥ स्वये ॥ ੴ   सतिगुर प्रसादि ॥ पातिसाही १० ॥ त्वप्रसादि ॥ स्वये ॥ स्रावग सुध समूह सिधान के देखि फिरिओ घर जोग जती के ॥ सूर सुरारदन सुध सुधादिक संत समूह अनेक मती के ॥ सारे ही देस को देखि रहिओ मत कोऊ न देखीअत प्रानपती के ॥ स्री भगवान की भाइ क्रिपा हूं ते एक रती बिनएक रती के ॥१॥ माते मतंग जरे जर संग अनूप उतंग सुरंग सवारे ॥ कोट तुरंग कुरंग से कूदत पौन के गउन को जात निवारे ॥ भारी भुजान के भूप भली बिध निआवत सीस न जात बिचारे ॥ एते भए  तो कहा भए भूपत अंत को नांगे ही पांइपधारे ॥२॥ जीत फिरै सभ देस दिसान को बाजत ढोल म्रिदंग नगारे ॥ गुंजत गूड़ गजान के सुंदर हिंसत ही हयराज हजारे ॥ भूत भविख भवान के भूपत कउनु गनै नही जात बिचारे ॥ स्री पत स्री भगवान भजे बिनु अंत कउ अंत के धाम सिधारे ॥३॥ तीरथ नान दइआ दम दान सु संजम नेम अनेक बिसेखै ॥ बेद पुरान कतेब कुरान जमीन जमान सबान के पेखै ॥ पउन अहार जती जत धार सबै सु बिचार हजारक देखै ॥ स्री भगवान भजे बिन भूपत एक रती बिन एक न लेखै ॥४॥ सुध सिपाहदुरंत दुबाह सु साजि सनाह दुरजान दलैंगे ॥ भारी गुमान भरे मन मै कर परबत पंख हले न हलैंगे ॥ तोर अरीन मरोर मवासन माते

जाप साहिब - Jaap Sahib in Hindi

जापु साहिब ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ स्री वाहिगुरू जी की फतह ॥ ॥ जापु ॥  स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥ छपै छंद ॥ त्वप्रसादि ॥ चक्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥ रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥ अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोज कहिजै ॥ कोटि इंद्र इंद्राण साहि साहाणि गणिजै ॥ त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेत नेत बन त्रिण कहत ॥ त्व सरब नाम कथै कवन करम नाम बरणत सुमति ॥१॥ भुजंग प्रयात छंद ॥ नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं क्रिपाले ॥ नमसतं अरूपे ॥ नमसतं अनूपे ॥२॥ नमसतं अभेखे ॥ नमसतं अलेखे ॥ नमसतं अकाए ॥ नमसतं अजाए ॥३॥ नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥ नमसतं अनामे ॥ नमसतं अठामे ॥४॥ नमसतं अकरमं ॥ नमसतं अधरमं ॥ नमसतं अनामं ॥ नमसतं अधामं ॥५॥ नमसतं अजीते ॥ नमसतं अभीते ॥ नमसतं अबाहे ॥ नमसतं अढाहे ॥६॥ नमसतं अनीले ॥ नमसतं अनादे ॥ नमसतं अछेदे ॥ नमसतं अगाधे ॥७॥ नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥ नमसतं उदारे ॥ नमसतं अपारे ॥८॥ नमसतं सु एकै ॥ नमसतं अनेकै ॥ नमसतं अभूते ॥ नमसतं अजूपे ॥९॥ नमसतं न्रिकरमे ॥ नमसतं न्रिभरमे ॥ नमसतं न्रिदेसे ॥ नमसतं न्रिभेसे ॥१०॥ नमसतं न्रिनामे ॥ नमसतं न्रिकामे ॥ नमसतं न्रिधाते ॥ नमसतं न्रिघाते ॥११॥ नमस