सतिगुरु होइ दइआलु - Satguru Hoye Dayal
Satguru Hoye Dayal Shabad lyrics
पउड़ी ॥
सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ ॥
सतिगुरु होइ दइआलु न कबहूं झूरीऐ ॥
सतिगुरु होइ दइआलु ता दुखु न जाणीऐ ॥
सतिगुरु होइ दइआलु ता हरि रंगु माणीऐ ॥
सतिगुरु होइ दइआलु ता जम का डरु केहा ॥
सतिगुरु होइ दइआलु ता सद ही सुखु देहा ॥
सतिगुरु होइ दइआलु ता नव निधि पाईऐ ॥
सतिगुरु होइ दइआलु त सचि समाईऐ ॥२५॥
Satguru Hoye Dayal 11 times continues jaap.
सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ 11 बार जाप॥
Satguru Hoye Dayal Shabad is a gift of Guru Amar Das JI. It is also present in Guru Garanth Sahib on Ang 149. This Shabad is from Amrit kirtan gutka in Raag Maajh on page 211 in the section of Satgur Guni Nidhaan heh.
सतिगुरु होइ दयालु त सरधा पूरीऐ शबद है गुरू अमर दास जी की दात ॥ यह शबद गुरू ग्रंथ साहब अंग १४੯ पर है ॥ यह शबद है राग माझ अमृत कीरतन गुटका में पन्ना २११ पर "सतिगुर गुनी निधानु है" ॥
Satguru Hoye Dayal lyrics with meaning.
सतिगुरु होइ दयालु अर्थ
सरधा = सिधक, भरोसा। दइआलु = मेहरबान। पूरीऐ = पूरा, पक्का।
जिस मनुष्य पर सतिगुरू किरपा करे (उस के अन्दर परमातमा पर) पक्का भरोसा बंध जाता है।
वह (किसी दुक्ख-कलेश आने पर) कभी भी गिला गुज़ारी नहीं करता,
सतिगुरु होइ दइआलु ता दुखु न जाणीऐ ॥
(क्योंकि) वह (किसी आए दुख को) दुख नहीं समझता,
सतिगुरु होइ दइआलु ता हरि रंगु माणीऐ ॥
सदा प्रभू दे मेल का आनंद मानता है।
सतिगुरु होइ दइआलु ता जम का डरु केहा ॥
(दुख कलेश तो कहीं रहे) उसको जम का भी डर नहीं रहता।
सतिगुरु होइ दइआलु ता सद ही सुखु देहा ॥(इस तरह) उस के शरीर को सदा ही सुख रहता है।
सतिगुरु होइ दइआलु ता नव निधि पाईऐ ॥जिस पर गुरू दयावान हो जाऐ उसे (मानो) जगत के नौ ही खजाने मिल जाते हैं,
सतिगुरु होइ दइआलु त सचि समाईऐ ॥२५॥
(क्योंकि) वह तो (खज़ानों के मालिक) सच्चे प्रभु में जुड़ा रहता है ॥२५॥
subscribe Karen hamara YouTube channel
Comments
Post a Comment